Saturday, April 14, 2012

न्यूज़ रीडर का लव लैटर (रसीले प्रेम पत्र-2)

मेरी प्रिये मधुरवाणी,

यह टनकपुर है, इस समय दोपहर के ठीक 12 बज कर 13 मिनट और 14 सेकंड हुए है. अब तुम अपने पति से अपने घर का समाचार सुनो . जब से तुम अपनी सहेलिओ के साथ पिकनिक मनाने हिल स्टेशन गयी हो तब से यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण है. परन्तु कभी कभी हमारे पिंकी और बबलू के झगड़ो की वजह से स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है. तुम्हारे माईके से प्राप्त समाचारों के अनुसार पिछले सप्ताह तुम्हारे मामाजी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि भविष्य में अब वो कभी बाथरूम में अपना पैर नहीं रखेंगे......


और अभी-अभी विश्वस्त सूत्रों से समाचार मिला है कि बबलू और पिंकी में दोबारा फसाद प्रारंभ हो गया है. बबलू ने पिंकी कि पेंसिल तोड दी और पिंकी ने बबलू के बाल नोच लिए थे. इस कारण बेडरूम के छेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है, तुम्हारी कांच कि अलमारी को छति पहुंची है किन्तु मैंने ठीक समय पे पहुच के स्थिति को नियंत्रण में ले लिया. दोनों पक्षो में समझौता कराने का प्रयास जारी है. मैंने बेडरूम के छेत्र में कर्फू लगा दिया है. दोनों कि हरकतों पे कड़ी नज़र रखी जा रही है. शाम तक स्थिति शांत हो जाएगी.


और अब मौसम की जानकारी, आसमान साफ़ है, धूप निकली है. छत पर कपडे सूख रहे है. किचन में दूध उबल रहा है, सब्जी जल रही है. किचन अस्त-व्यस्त और मैं पस्त हूँ. अतः तुमसे अनुरोध है की अपनी पिकनिक स्थगित करके शीघ्र वापस आ जाओ. इसी के साथ घर के समाचार समाप्त हुए, नमस्कार.

तुम्हारा पति,
राज शरण भारती

Monday, April 2, 2012

पुलिस इंस्पेक्टर का लव लैटर (रसीले प्रेम पत्र-1)

डी. एस. पी. (डब्बू, शामू और पप्पू) की माँ,
सदा ख़बरदार रहो,

तुम्हारे घर से मौकाए-फरार हुए पुरे तीन हफ्ते हो चुके है. मैंने तुम्हे सिर्फ दो हफ्तों की मोहलत दी थी मगर मियाद पूरी होने के बावजूद तुम वापस नहीं लौटी इसलिए मैं तुम्हे इस ख़त के रूप में वार्रेंट भेज रहा हूँ, मैं तुम्हे आखरी वार्निंग देता हूँ अगर ख़त मिलने के बाद दो दिन के अन्दर डी. एस. पी. सहित तुमने अपने आपको मेरे हवाले नहीं किया तो मैं ससुराल में छापा मारने पहुँच जाऊंगा.

तुम नहीं जानती डी. एस. पी. की माँ कि तुम्हारे बिना ये घर सूनी हवालात सा लगता है. तुम्हारी शक्की नजरो कि कसम बगैर तुम्हारे न मेरा दिल पीनो को करता है (रम) न खाने को (रिश्वत). तुम्हारे गम में मैं गुंडों को पीटता रहता हूँ.
दिन भर तुम्हारी यादो में खोया रहता हूँ,
रात भर ड्यूटी पे सोया रहता हूँ.
इसिलए मेरे इलाके में चोरिया, डकैतिया, लूटमार बढ गयी है. चोर-उच्चको कि मौज आ गयी है. वो साले हरामखोर (तुम्हारे भाई नहीं) मुझ से पूछे बिना जनता को लूट रहे है. यह मैं हर्गिस बर्दास्त नहीं कर सकता इसिलए तुम्हारी खैरियत इसी में है कि तुम फ़ौरन अपने माइके का इलाका छोड़ दो वर्ना........

तुम्हारा रौबदार पति,
गर्जन सिंह
धमकीपुर.